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Bal Bhawan, M.C. Seva Sanskar Sanstha, Shivpuri

बाल भवन, एम.सी. सेवा संस्कार संस्थान, शिवपुरी

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सफर अब तक

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मेरे आदरणीय पिता स्व. श्री दामोदर प्रसाद चौबे एक कर्तव्‍यनिष्‍ठ एवं ईमानदार तृतीय वर्ग श्रेणी के शासकीय सेवक थे। चार बेटों एवं तीन बेटियों वाला हमारा कुल नौ सदस्यीय परिवार था। vFkkZr~ foiUUkrk O;kIr FkhA मैं कभी भी प्राइवेट ट्यूशन नहीं पढ़ पाया। इस कारण मेरी अध्ययन से संबंधित कठनाईयाँ कभी भी पूरी हल नहीं हो पाती थी। मेरे जो सहपाठी प्राइवेट कोचिंग लेते थे उनमें से अधिकांश का मुझसे बेहतर प्रदर्शन रहता था। इसलिए मेरा बालक मन सोचा करता कि अगर मैं शिक्षक बना तो मेरे जैसे किसी विद्यार्थी को पैसे के अभाव मे मन मसोस कर बैठने नहीं दूंगा, मैं उन्हें स्कूल/कॉलेज समय के पहले या बाद में जरूर पढ़ाऊंगा। ईश्‍वर की इच्छा कि मैं टीचर बना। सन् 1985 तक मेरे मन की उथल-पुथल बहुत बढ़ गई थी। अतः सन् 1985 से ही मैंने मेरे घर में सुबह 5:30 से 6:30 तक भौतिकी विषय के कक्षा 11वीं एवं 12वीं के विद्यार्थियों हेतु निःशुल्क  कक्षा प्रारंभ की। इस प्रयास की सफलता से अभिभूत हो मैंने गणित विषय के लिये श्री एम.एस. f}osnh जी से साथ मांगा और रसायनशास्त्र के लिये श्री आर. बी. एल. शर्मा जी से साथ मांगा वे तैयार भी हो गये अतः गुरु तेग़ बहादुर शहीद दिवस के दिन शा. उ. मा. विद्यालयक्र.-1 में 11वीं, 12वीं एवं पी.ई.टी. की निःशुल्क कक्षाएं प्रारंभ कर दी गई। परन्तु आये दिन के व्यवधान के चलते 1989 में वहां से कक्षाएं हटानी पड़ीं।

 

 

1 वर्ष मैं अकेला अपने घर पर भौतिकी की कक्षा लेता रहा, गणित एवं रसायन विषय बन्द हो गये। सन् 1990 मे राष्ट्रपति पुरस्‍कार से पुरस्कृत शिक्षक श्री हरिउपमन्यु जी के मेें सम्पर्क में आया। वे नगर के बहुत बड़े व्यवसायी दीवान श्री सुरेन्द्रलाल जी से मिलाने ले गये। उनके सामने जब मैंने स्थान संबंधी अपनी बात रखी तो वे तुरन्त ही उनके विष्णु मंदिर परिसर में जगह देने तैयार हो गये। यह विष्णु मंदिर शिवपुरी शहर में बहुत ही आदर्श लोकेशन में बना हुआ है उसमें एक हॉल और एक कमरे में कक्षाएं संचालित होने लगीं। मैंने श्री एम. एस. f}osnh(गणित) एवं श्री आर. बी. एल. शर्मा(रसायन) के समक्ष पुनः कक्षाएं प्रारंभ करने का प्रस्ताव रखा, तो वे भी जुड़ गये। इस प्रकार सन् 1988 में शा. उ. मा. विद्यालयक्र.-1 शिवपुरी में जन्मीं ‘सेवा शिवपुरी‘ नामक संस्था सन् 1990 में विष्णु मंदिर परिसर में स्थानान्तरित हो चुकी थी।

 

 

1990-91 के सत्र से फिजिक्स एवं केमेस्ट्री के क्लास नियमित चले गणित की कक्षायें कुछ कम नियमित रही। परन्तु संस्था आर्थिक रूप से सक्षम एवं कमजोर दोंनो वर्गों मे लोक प्रिय होने लगी। सन् 1992 से अपनी व्यस्तताएँ या अन्य किन्हीं कारणों के चलते गणित एवं रसायन विषय के शिक्षकों ने पुनः संस्था में पढ़ाना बंद कर दिया। तब मैं अकेला ही फिजिक्स विषय पढ़ाता रहा। बच्चों को PET/PMT परीक्षा मे अच्छे स्तर की सफलताएं मिलना प्रारंभ हो चुकी थी। उन दिनों म.प्र. में केवल शासकीय इंजीनियरिंग एवं मेडिकल कॉलेज ही हुआ करते थे। अतः बहुत कम सीटें होती थीं। उसको देखते हुए बच्चों की सफलताएँ हौसला बढ़ाने वाली थी। बीच-बीच में कभी-कभी शासकीय विज्ञान महाविद्यालय शिवपुरी के प्राध्यापक भी कक्षाएं लेने आ जाते थे। अब तक ‘सेवा शिवपुरी‘ शहरमें, अपने परिणामों के कारण पर्याप्त लोकप्रिय हो चुकी थी। आगे की यात्रा मेरे अकेले की ही रही।

 

 

सत्र 2001-2002 में विष्णु मंदिर में निर्माण कार्य होना था, अतः हमे वहां से हटना पड़ा। तब गांधी आश्रम ए. बी. रोड शिवपुरी पर छात्रों के प्रयास से जगह(हॉल) उपलब्ध हुई। विष्णु मंदिर से बच्चे संस्था की लायब्रेरी की किताबें हाथ ठेले मे रखकर गाँधी आश्रम पर लाये। आते समय दीवान साहब ने दो टेबिलें दे दी थी, पांच काठ की बेंचें हमारे पास पहले से(दान स्वरूप) थी। यह फर्नीचर भी छात्र ले आये। इस नई जगह पर दीवान साहब ने 12 नई कुर्सियां एवं एक लोहे की अल्मारी भी भेज दी थी। यहाँ एक पूरे सत्र भी कक्षाएं नहीं लग पायीं और वहां से हटने का अल्टीमेटम प्राप्त हो गया तब सन् 2002 में ही गांधी आश्रम से कुछ दूरी पर मारवाड़ी धर्मशाला में सामान सहित संस्था विस्थापित हुई वहां मुश्किल से दो माह चल पाई। तब अखबार में यह छपा कि संस्था बन्द होने जा रही है। इस क्रम में जब तत्कालीन कलेक्टर श्री बी. एल. कांतारावजी से संपर्क हुआ तो उन्होंने वीर सावरकर उद्यान का वर्तमान भवन संस्था को उपलब्ध कराया। अब तक सेवा शिवपुरी से चयनित होकर इंजीनियर-डॉक्‍टर बन चुके छात्र देश-विदेश में बहुत अच्छी संख्या में फैल चुके थे। निःशुल्क एवं दक्ष शिक्षण के कारण संस्था की विश्वसनीयता एवं लोकप्रियता के चलते संस्था पूरे बाल भवन सावरकर पार्क में संचालित होने लगी एवं हिन्दी, संस्कृत कभी-कभी अंग्रेजी के भी शिक्षक यहां कक्षाएं लेने आने लगे। परन्तु विज्ञान विषय के लिये 1992 के बाद से सन् 2012 लगभग 19 वर्ष तक मैं अकेला ही शिक्षक था अतः केवल भौतिकी विषय ही पढ़ा रहा था।

 

 

सन् 2012 से गणित शिक्षक श्री f}osnh एवं सन् 2013  में केमेस्ट्री शिक्षक श्री आर. बी. एल. शर्मा पुनः जुड़ गये हैं।

 

 

सन् 2010 से यह संस्था मधुसूदन चाैैैबे सेवा संस्कार समिति के नाम से रजिस्टर्ड है इसका रजिस्ट्रेशन नम्बर 02/41/01/14077/10 है।

 

 

सन् 2011 से संस्था से निकले योग्य छात्र-छात्राओं ने भी शिक्षण कार्य में हाथ बटाना प्रारंभ कर दिया है। उनमें कु. राखी जैमिनी, कु. ज्योति भार्गव एवं कु. मंजू वर्मा ने 9वीं एवं 10वीं नई प्रारंभ की जा रही कक्षाओं की कमान संभाल ली थी। वे अंग्रेजी, गणित, विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान की कक्षाएं लेने लगीं थीं। उसी क्रम में संविदा शिक्षक भर्ती एवं पटवारी भर्ती प्रतियोगिताओं की कक्षाएं भी प्रारंभ की गयीं। इन कक्षाओं में से डॅॅाॅ. हरिश्चंद्र भार्गव(हिन्दी), श्री प्रदीप लाक्षाकार(संस्कृत) तथा मैंने स्वयं विज्ञान एवं गणित की कक्षाएं लीं। 

 

 

सन् 2014 से प्रतियोगी परीक्षाओं की नियमित कक्षाएं संस्था में vfojr~ :Ik से जारी हैं, जिन्हें संस्था के श्री संदीप शर्मा, योगेश शर्मा, विनय चौबे, अरविन्द कौरव दक्षता के साथ संचालित कर रहे हैं। इस सत्र 2016-17 में कॉमर्स एवं कृषि विज्ञान की कक्षाएं भी प्रारंभ कर दी गई कॉमर्स की कक्षाएं श्री जीडी. प्रधान और कृषि विज्ञान की कक्षाएं श्री विजित जैन के द्वारा संचालित की जा रहीं हैं। इसी क्रम में श्री संतोष शर्मा जी तथा श्री कबीर कोली जी 11वीं और 12वीं के विद्यार्थियों को क्रमशः अंग्रेजी तथा कला विषय साथ ही श्री श्रीवल्लभ श्रीवास्तव जी एवं श्री अरविन्द जी 9वीं और 10वीं को क्रमशः सामाजिक विज्ञान एवं गणित विषय का अध्यापन करा रहे हैं। श्री भगतजी जीव विज्ञान अध्यापन में सहयोग करते हैं। संस्था के कार्यक्रमों का संचालन भार श्री विजित जैन संभाल रहें हैं जिनका सहयोग दिवाकर सिंघई कर रहे हैं। संस्था की बेवसाइट www.sevashivpuri.com संस्था के ही इंदौर स्थित आदित्य गर्ग संभालते हैं।  विद्यार्थियों को वर्तमान युग से जोड़ने के लिए कम्प्यूटर एवं नेट की शिक्षा स्मार्ट बोर्ड द्वारा श्री विजित जैन संस्था में संचालित कर रहे हैं।

 

 

संस्था में श्री सेवाराम सारंग IAS, श्री आलोक शुक्ल IAS, श्री अनुपम राजन IAS, श्री प्रमांशु कमल IAS, श्री बी.एल.कांताराव IAS, श्रीमती डॉ.एम.गीता IAS, श्री मुक्तेश वाषर्णेय IAS, श्रीजॉन किंग्सली IAS, श्री आर. के. जैन IAS ने पधारकर संस्था के कार्यों को आगे बढ़ाने में सहयोग किया एवं छात्रों, शिक्षकों और पालकों से संवाद स्थापित किया।वर्तमान कलेक्टर श्री राजीव चंद्रदुबे भी यद्यपि संस्था के आमंत्रण पर नहीं पधार सके।परन्तु संस्था के कार्यों को आगे बढ़ाने एवं बेहतर स्थान उपलब्ध कराने के लिए स्वयं दो बार संस्था प्रागंण में आये, औरअपने साथ एस.डी.एम., नपा. अध्यक्ष तथा मुख्य नगरपालिका अधिकारी को लेकर आये, और हमें दो बड़े हॉल उपलब्ध कराये। श्री विजित जैन, श्री दिवाकर सिंघई, श्री आदित्य गर्ग, श्री योगेश शर्मा एवं श्री प्रमोद मिश्रा के परस्पर सहयोग से संस्था की दैनिक शिक्षण एवं अन्य प्रकार की व्यवस्थाएं संचालित की जा रही हैं और ये सब समय-समय पर वरिष्ठ शिक्षकों से मार्ग दर्शन प्राप्त करते रहते हैं।

 

 

       यह संस्था पूर्ण रूपेण गैर राजनितिक है। संस्था केवल शैक्षिक एवं सामाजिक गतिविधियाँ ही संचालित करती है जिनमें विशेष रूप से साधन हीन परिवारों की सहायता हो सके।                                                                                                                                                                               -मधुसूदन चौबे

 

 

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